Saturday, 10 May 2014

जम्हूरियत-ए -हिन्दोस्तान

बनारस की सुबह भी है, अवध की शाम भी है ये 
ये गङ्गा का प्रवाहण है तो चारों धाम भी है ये
हमारे देश की जम्हूरियत यूँ तो तपोमय है 
मगर जब वक़्त पड़ता है तो इक सङ्ग्राम भी है ये
Dr. Rahul Awasthi
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