वैरी वार करते हैं नज़रें बचा के किन्तु वीर वार करते नज़र को उठा के ही
इसीलिए ईंटों का जवाब पत्थरों से दिया हमने हमेशा निज कर को उठा के ही
घुसपैठियों ने गुपचुप घुसपैठ की तो ललकारा हमने है स्वर को उठा के ही
कायरों ने सर को झुका के गोलीबारी की थी, हमने जवाब दिया सर को उठा के ही
@ डॉ० राहुल अवस्थी
@ चित्र-सौजन्य : BHANU BHARADWAAJ, आई-नेक्स्ट, बरेली
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