जहां ऐसे भी लम्हे थे, वहीं हङ्गामा बरपा है...

राजेन्द्र प्रसाद स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मीरगञ्ज (बरेली) के बी०टी०सी
सङ्काय में राजभाषा-सप्ताह के समापन पर बतौर मुख्य अतिथि था। गजब का उत्साह
और कला-कौशल देखने को मिला स्वतःस्फूर्त ढङ्ग से। लगभग
एक घण्टे तक प्रशिक्षुओ ने पूरी गुरु-गम्भीरता से अनवरत उठते ठहाकों,
ताबडतोड तालियों, उत्ताल ऊर्जा और अमन्द आनन्द के साथ उद्बोधन-श्रवण किया
था। अभिभूत था मैं, किन्तु क्या कारण है कि हाल ही में वहां बी०एड० विभाग
के अध्यक्ष प्रख्यात बालकवि और विद्वान डा० नागेश पाण्डेय 'सञ्जय' के साथ
भयानक अभद्रता की गयी! बहुत कुछ कयास लगाये जा रहे हैं। लोग न जाने
क्या-क्या कह रहे हैं : व्यवस्था-शैथिल्य - कमजोर प्रानुशासन, प्राध्यापन,
प्रशासन, प्रबन्धन; स्थानीय समीकरण, क्षेत्रीय दबङ्गई, बिना मेहनत टाप
करने की अनैतिक चाहत या राजनीति की नर्सरी के सर पर अराजक राजनीति का हाथ;
लेकिन जिनको कहना चाहिए, वे कुछ नहीं कह रहे। कारण कुछ भी हो किन्तु सोचना
तो हमें होगा ही कि हमारी उच्च शिक्षा की दशा और दिशा आखिरकार है क्या...
@ डा० राहुल अवस्थी
https://twitter.com/Drrahulawasthi
http://drrahulawasthiauthor.blogspot.in/
https://plus.google.com/u/0/112427694916116692546
https://www.facebook.com/pages/Dr-Rahul-Awasthi/401578353273208
वैरी वार करते हैं नज़रें बचा के किन्तु वीर वार करते नज़र को उठा के ही
इसीलिए ईंटों का जवाब पत्थरों से दिया हमने हमेशा निज कर को उठा के ही
घुसपैठियों ने गुपचुप घुसपैठ की तो ललकारा हमने है स्वर को उठा के ही
कायरों ने सर को झुका के गोलीबारी की थी, हमने जवाब दिया सर को उठा के ही
@ डॉ० राहुल अवस्थी
@ चित्र-सौजन्य : BHANU BHARADWAAJ, आई-नेक्स्ट, बरेली
@ drrahulawasthi@twitter.com
@ dr.rahulawasthibareilly@gmail.com
@ dr.rahulawasthiauthor@facebook.com
@ drrahulawasthiauthor.blogspot.com