Tuesday, 2 September 2014

उनका प्रभात भी ख़बरदार मिलता है






आभार प्रभात-खबर...















उनके नजारों का ज़माना है दीवाना जो कि
नज़रों से प्यार का पयाम लिख देते हैं
उनकी कहानी पे विराम लगता नहीं है
जो मरा-मरा को राम-राम  लिख देते है
उनकी ज़मीन ही सलामत रही है जो कि
अम्बर पे शौर्य से सलाम लिख देते हैं
उनका प्रभात भी ख़बरदार मिलता है
शाम भी जो वीरों के ही नाम लिख देते हैं

























1 comment:

  1. बेहद मौज़ू कविता. क्या कहने, लाजवाब !

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