लिक्खी गयीं हों न लिक्खी गयीं हों कथाएं किन्तु ऐसी ही निशानियां हैं ऐसी ही बयानियां
वक़्त की पहेलियों पे, जान ले हथेलियों पे लिख दीं धरा के नाम पे ही जिन्दगानियां
कहीं भी कभी भी कैसी कोई भी विपत्ति आयी, काम आयीं देश के हमेशा नौजवानियां
एक नहीं दो नहीं हैं सैकडों-हजारों ऐसी जिन्दाबाद भारतीय सेना की कहानियां
@ डॉ० राहुल अवस्थी
एक शाम : वीरों के नाम @ साइंस सिटी : प्रभात खबर, कोलकाता
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