Thursday, 24 April 2014

इशारों को अगर समझो

लगभग हर पार्टी हाथ-मुँह धो कर


सिर्फ़ दो मुद्दों पर चुनाव जीतना चाहती है
एक तो तथाकथित अल्पसंख्यक  को मोदी से डराकर
मोदी का हावहौवा खड़ा कर अपने पक्ष में ध्रुवीकरण करके
दूसरे येन-केन-प्रकारेण लुभा कर अपना सियासी उल्लू सीधा करके
अपने गिरेबाँ में झाँकने की फुरसत और चाहत किसी की भी नहीं साहब
क्या इसके अलावा और कोई सार्थक पहलू ही नहीं बचा चुनावी चर्चा करने को
पढ़नेलायक एक  विश्लेषणलेख आया है भाई शक़ील हसन शम्शी का दैनिक जागरण में
ज़रूर पढियेगा और तस्दीक करियेगा हमारे परिवेश के आपेक्षिक परिवर्तनों के मौन स्वर की
Dr. Rahul Awasthi 
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