Sunday, 24 June 2018

करेगा क्या

तुनुन-तारा तुनुन-तारा तुनुन-तारा करेगा क्या
तुझे मिल भी गया गर मैं तो झख मारा करेगा क्या

मेरी धरती मेरे अम्बर को कब से घेर रक्खा है
मेरे सूरज को अब तू चाँद से तारा करेगा क्या

बहुत सारी मेरी यादें हैं तेरे पास - कहता है
मेरी यादें इकट्ठा करके भण्डारा करेगा क्या

न अब तक ये ही कर पाया, न अब तक वो ही कर पाया
जो अब तक कर नहीं पाया वो अब सारा करेगा क्या

पराये माल से, हथियार से, औज़ार से तू है
यूँ घर में घुस के तू दुश्मन को ललकारा करेगा क्या

जनम से ही सिवा धोखे के जो कुछ भी नहीं पगले
वो आगे जा के अँधियारों में उजियारा करेगा क्या

धुएँ की नींव पर अरमाँ का इक गुम्बद उठा करके
तू अपना लबलबा मेरी तरह पारा करेगा क्या

मेरी शोहरत मेरी ताक़त तो तूने बाँट ली लेकिन
मेरी क़िस्मत मेरी हिम्मत का बँटवारा करेगा क्या

बिना परमिट बिना लाइसेंस जो यूनिट चलाई है
मसअला ग़ैरकानूनी है - चुकतारा करेगा क्या

तेरी आदत है - जिसको भी पकड़ता, छोड़ देता है
जो बेदम हो चुका हो फिर वो बेचारा करेगा क्या

मैं ये प्रोग्राम भी कर लूँ, मैं वो प्रोग्राम भी कर लूँ
अबे! इस उम्र में अब मुझको बंजारा करेगा क्या

सुलझना था तुझे, उलझा दिया कितनों को मुद्दों-सा
ज़माना पूछता है - इनका निपटारा करेगा क्या

तेरी जो भूख है, वो आग, मेरी प्यास पानी है
बरफ़ को अब बता ऐसे में अंगारा करेगा क्या

जिन्हें आगे की ख़ातिर अपने पीछे छोड़ आया है
मिले रस्ते में तो चेहरे पे लश्कारा करेगा क्या

मुझे मालूम है तुझ पर किसी का फ़र्क़ क्या पड़ना
मगर घर की तबाही पे भी पौ बारा करेगा क्या

हक़ीक़त की ज़मीं पर आसमाँ ख़्वाबों का रख के कह
जो पहले कर चुका है अब वो दोबारा करेगा क्या

तेरा ही ख़ून पानी हो-हो के तुझको पुकारे है
मिला मौक़ा अकेले में तो चीत्कारा करेगा क्या

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