Sunday, 8 February 2015

किसी की याद का दियना






क़सम ईमानदारी की कहीं कुछ तो छला-सा है
बडा बेचैन-सा है बावला जो सांवला-सा है
बचाकर आंसुओ को आंख का मलना बताता है
किसी की याद का दियना किसी दिल में जला-सा है
‪#‎DR_RAHUL_RAHUL‬
‪#‎IIM_KASHIPUR‬ । ०६ फ़रवरी २०१५

No comments:

Post a Comment