Sunday, 8 February 2015

ज़रूरी तो नहीं




































किसी बे-जान को भी जानकर पहचान मिलना है
ज़रूरी तो नहीं अहसान पर अहसान मिलना है
हमारा मन हमेशा मान का अरमान क्या पाले
कहीं अपमान खोना है, कहीं सम्मान मिलना है


No comments:

Post a Comment