कथन जिनके यथासम्भव कभी झूठे नहीं होते समय की अस्मिता से जो कभी रूठे नहीं होते अमृत का दान करने के लिये विषपान कर लेते अधर उनके किसी भी शर्त पर जूठे नहीं होते
क़सम ईमानदारी की कहीं कुछ तो छला-सा है बडा बेचैन-सा है बावला जो सांवला-सा है बचाकर आंसुओ को आंख का मलना बताता है किसी की याद का दियना किसी दिल में जला-सा है #DR_RAHUL_RAHUL #IIM_KASHIPUR । ०६ फ़रवरी २०१५
कभी मीठा कभी खट्टा कभी कडवा कभी तीखा उसे जो कुछ ज़माने को दिखाना था, वही दीखा अजब सम्बन्ध थे लेकिन प्रबन्धन क्या ग़ज़ब का था बहुत कुछ सीख लेना था मगर कुछ भी नहीं सीखा
किसी बे-जान को भी जानकर पहचान मिलना है ज़रूरी तो नहीं अहसान पर अहसान मिलना है हमारा मन हमेशा मान का अरमान क्या पाले कहीं अपमान खोना है, कहीं सम्मान मिलना है