वीर-धीर तीर-मीर पीर या फ़क़ीर हो तो रङ्ग-जङ्ग के प्रसङ्ग ढङ्ग से विजेता हो
लेता कुछ हो न देता हो प्रदेय बिना स्वार्थ व्यग्र अग्र उग्र राष्ट्रवाद का प्रणेता हो
खून दे के देश की स्वतन्त्रता का क्रेता हो विक्रेता नहीं राष्ट्र का प्रचेता युगचेता हो
भक्ति अनुरक्ति हो तो नेताजी सुभाष जैसी, नेता हो तो नेताजी सुभाष जैसा नेता हो
@ डा० राहुल अवस्थी
https://twitter.com/Drrahulawasthi
http://drrahulawasthiauthor.blogspot.in/
https://plus.google.com/u/0/112427694916116692546
https://www.facebook.com/pages/Dr-Rahul-Awasthi/401578353273208



No comments:
Post a Comment