Tuesday, 29 May 2018

KaviSammelan

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Saturday, 26 May 2018

चरण-स्पर्श

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#संचालन #राहुल_अवस्थी #संयोजन #सिद्धार्थ_मिश्रा

Wednesday, 23 May 2018

हमारे पूर्व पुरुषों का प्रवाहित प्यार है गङ्गा

विरल आदर्श का अविरल तरल व्यवहार है गङ्गा
समुज्ज्वल चेतनाओं की अनाविल धार है गङ्गा
गरलत को सरलता से पचाकर के अमृत देती
हमारे पूर्व पुरुषों का प्रवाहित प्यार है गङ्गा

न गर त्यागी प्रदूषण की डगर, गङ्गा नहीं होगी
यहाँ गङ्गा तलाशेंगे मगर गङ्गा नहीं होगी
हमारी सभ्यता का सार है आधार है गङ्गा
कहाँ फिर संस्कृति होगी अगर गङ्गा नहीं होगी

समय की पीठ पर असमय धरा की धूप धर देंगे
स्वभावों में अभावों का भयङ्कर भाव भर देंगे
नहीं गङ्गा रहेगी तो महाभारत सुनिश्चित है
न होगा देवव्रत कोई, शिखण्डी भीड़ कर देंगे

न ऐसा हो सुरक्षा की सुदृढ प्राचीर गल जाये
रुकें निर्माण प्राणों में प्रणों में पीर पल जाये
प्रतापी भीष्म गङ्गा ही यहाँ उत्पन्न कर सकती
शिखण्डी जन्मने की फिर न कोई रीति चल जाये

शपथ लेनी पड़ेगी ये कि हर विषता पचानी है
हमें हक़ की हथेली फ़र्ज़ की मेहँदी रचानी है
हमें जीवन बचाना है हमें संस्कृति बचानी है
हमें भारत बचाना है हमें गङ्गा बचानी है