ARTHAAT
Friday, 13 March 2015
अपमानों को खो कर ही
फूलों-सा खिलने को चट्टानों से टकराया जाता है
अन्तस की पीडा को मधुरिम गीतों में गाया जाता है
इस सुख से उस दुख को इस जीवन भर भरमाया जाता है
अपमानों को खो कर ही सम्मानों को पाया जाता है
#DR_RAHUL_AWASTHI
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